सातताल उत्तराखंड राज्य में स्थित एक सुंदर एवं विख्यात पर्यटक स्थल है। ‘कुमाऊँ’ अंचल के सभी तालों में ‘सातताल’ का जो अनोखा और नैसर्गिक सौन्दर्य है,
वह किसी दूसरे ताल का नहीं है। सातताल नैनीताल से २६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं | सातताल की खोज E. Stanlay Jones के Father ने 1880 मे की थी | सातताल की प्रमुख विशेसता यह हैं की यह घने जंगलो के बीच स्थित हैं | जहा आप प्रकति की शांति का आनंद ले सकते हो | सातताल का नाम सातताल इसलिए पड़ा क्योकि एक टाइम पे सातताल जाते समय पूरे सात ताल पड़ते थे | महरा गांव नामक स्थान से सातताल की शुरूआत होती हैं | महरा गांव नैनीताल तथा भीमताल के मध्य में पड़ता हैं | छ: झीलों के बाद जो आखिरी झील पड़ती हैं उसे सातताल झील कहते हैं | सातताल जाने के मार्ग मैं जो पहली झील पड़ती हैं उसे नल दमयंती ताल कहते हैं | दूसरी झील का नाम गरुण ताल, तीसरी झील का नाम पूर्ण ताल ,चौथे का नाम सूखा ताल , पांचवे का नाम लक्ष्मण ताल, छटवी झील का नाम रामताल, और सातवीं झील का नाम सीताताल |
प्रथम झील नल दमयंती ताल हैं जिसका आकार पंचकोड़िय है | पौराणिक कथाओ के अनुसार इस ताल का नाम राजा नल और उनकी पत्नी दमयंती के नाम पे पड़ा | जिन्होंने यहाँ आकर समाधी ली थी |
दूसरी झील गरुण ताल, इस ताल का नाम गरुण ताल इसलिए पड़ा क्योकि महाभारत काल मे इस ताल को को द्रौपदी ने रसोई के रूप मे प्रयोग किया था | द्रौपदी के द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सिलबट्टा आज भी इस जगह पर हैं | कुछ लोगो के अनुसार एक ज़माने मे पांडव लोग यहाँ निवास करते थे |
तीसरी तथा चौथी झील का नाम पूर्ण ताल तथा सूखा ताल था | इन दोनों तालो का अस्तित्व लापरवाही के चलते समाप्त हो गया हैं |
पांचवी, छ:, तथा सातवीं झील का नाम राम, लक्ष्मण तथा सीता ताल है | माना जाता है की राम, लक्ष्मण तथा सीता वनवास के दौरान यही आकर रुके थे | और इसी जगह भीम ने हिडिम्बा से गन्धर्व विवाह भी किया था | हिडिम्बा देवी का मंदिर यहाँ से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं |
भीमताल उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले मे स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है | यह नैनीताल से २२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है | जैसा की नाम से ही स्पस्ट हैं यहाँ नैनीताल की तरह ही बड़ी झील (ताल) है | यह झील त्रिभुजाकार की है | इसकी लम्बाई 1701 मीटर, चौड़ाई 451 मीटर, गहराई 18 मीटर है | नैनीताल की तरह ही इस झील के भी दो कोने हैं | जिन्हे तल्लीताल और मल्लीताल कहा जाता है | तथा दोनों कोने सड़क से जुड़े हैं |
भीमताल की प्रमुख विशेषता यह है कि यह सुन्दर घाटी में ओर खिले हुए अंचल में स्थित है। भीमताल झील नैनीताल झील की तुलना में बहुत साफ और कम भीड़-भाड़ वाली जगह है। झील के केंद्र में एक द्वीप है जहाँ नाव से पहुंचा जा सकता है। इस द्वीप में दक्षिण अफ्रीका, चीन और मेक्सिको की विभिन्न प्रजातियों की मछली के साथ एक एक्वेरियम है। यहाँ नावों से टापू में पहुँचने का प्रबन्ध है।
नैनीताल की खोज होने से पहले भीमताल को ही लोग महत्व देते थे | भीमताल झील नैनीताल झील से भी बड़ी है | तथा ‘भीमकार’ होने के कारण इसे भीमताल कहा जाता हैं | परन्तु कुछ विद्वान इस ताल का सम्बन्ध पाण्डु – पुत्र भीम से जोड़ते हैं। कहते हैं कि पाण्डु – पुत्र भीम ने भूमि को खोदकर यहाँ पर विशाल ताल की उत्पत्ति की थी। यहाँ पर भीमेश्वर महादेव का मन्दिर भी है। यह एक प्राचीन मन्दिर है |
भीमताल के आकर्षण (Tourist Attraction of Bhimtal)
भीमताल के प्रमुख टूरिस्ट आकर्षणो मे भीमताल झील, एक्वेरियम इन भीमताल टापू , हनुमान गड़ी मंदिर, विक्टोरिआ डाम, भीमेश्वर महादेव मंदिर, हिडिम्बा पर्वत , प्रसिद्ध नल-दमयंती ताल तथा कर्कोटका मंदिर आदि है | इसके अतिरिक्त आप यहाँ नौकायन तथा शॉपिंग का आनंद ले सकते है |